चित्रलिपि Posted byPurnendu GhoshApril 21, 2023April 21, 2023Posted inUncategorized तैरती कवितानदी जैसा जिसका बहावसोचती है क्यों न स्वरचित बहे अनियमित ख्वाब की तरहनदी मेंशब्दों के कंकड़रेत के ढेरों से गुज़रतेगिरते हैंदूर समुद्र की गोद मेंभावनाओं से उत्प्रेरितशब्दों के लहर परमैं लिखता हूँ दिल की चित्रलिपि Share this:TwitterFacebookLike this:Like Loading... Related