समुद्री तूफान में जिस दिन ध्रुव तारा लुप्त हो गया
जिस दिन मेरा नाविक मन संतुलन खो बैठा
उस दिन क्षितिज पर एक नए सूरज को उगते देखकर
मेरा हरित सुदूर परिभाषित हो गया
उबड़-खाबड़ रास्तों पर दौड़ते दौड़ते
मैं उस मैराथन को न भूला जो दौड़ना बाकी था
जीने की भूलभुलैया में खोकर
दिखी सुरंग के अंत में, आशा की किरण
जब दिन की धूप फीकी पड़ जाती है
और काली रात सामने आती है
सूरज को फिर से उगते देख हम
आनंद विभोर हो जाते हैं
एक और दिन जीने के लिए।