कितनों को बचपन न नसीबा, तो कितनों को बुढ़ापा।
कितनों को बरगद की छाया मिली, तो कितनों को पनपने का मौका।
कितनों को सब कुछ मिला, न मिला देनेवाला।
कितनों को खाना मिला, न मिली भूख।
कितनों को आंखें मिली, न मिला नयन सुख।
कितनों ने आंखें खोई, मिली मन की आंखें।
कुछ रंगांध, नहीं देख पाते थे लाल रंग,
तो कुछ हरे।
कुछ आधा देख पाते है, तो कुछ आधे में पूरा।
किसी को पक्के रास्ते मिले, तो किसी को पगडंडियां।
किसी को चतुराई मिली, तो किसीको सादगी।
किसी को अपनी दुनिया मिली, तो किसी को सारी दुनिया।
किसी को दायित्व मिला, तो किसीको अधिकार।
सोचने की बात है, किसने क्या खोया,
किसने क्या पाया।